जीवन में हर किसी को कभी न कभी असफलताओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन असफलता ही सफलता का पहला कदम है। यह कहानी उसी आत्मबल और साहस की है, जो हमें सिखाती है कि छोड़ो कल की बातें, आज से एक नई शुरुआत करो।
एक लड़का था जिसका नाम आरव था। आरव बचपन से ही बहुत होशियार और मेहनती था। लेकिन उसकी एक कमजोरी थी, वह अपने अतीत की असफलताओं को भुला नहीं पाता था। हर बार जब वह किसी परीक्षा में असफल होता या किसी प्रतियोगिता में हार जाता, तो वह हतोत्साहित हो जाता और खुद पर विश्वास खो बैठता।
एक दिन एक बुजुर्ग साधु आए। उन्होंने आरव को देखा और उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें पढ़ लीं। साधु ने आरव से पूछा, "बेटा, तुम्हारी चिंता का कारण क्या है?"
आरव ने अपने असफलताओं की कहानी साधु को सुनाई और कहा, "मैं हमेशा अपनी असफलताओं के बारे में सोचता रहता हूँ और इससे मेरा आत्मबल गिरता जाता है।"
साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटा, छोड़ो कल की बातें। आज का दिन नया है, और तुम्हारे पास एक नई शुरुआत करने का मौका है।"
साधु ने एक छोटी सी कहानी सुनाई -
"एक बार की बात है, एक राजा के पास एक बहुत ही सुंदर और बहुमूल्य हीरा था। एक दिन, हीरे में एक दरार आ गई। राजा ने बहुत से कारीगरों को बुलाया, लेकिन कोई भी उस दरार को ठीक नहीं कर पाया। आखिर में एक गरीब कारीगर ने राजा से कहा, 'मुझे एक मौका दें।'
उस कारीगर ने हीरे को उठाया और दरार को एक खूबसूरत फूल की आकृति में बदल दिया। अब वह हीरा पहले से भी ज्यादा सुंदर हो गया था। कारीगर ने कहा, 'राजन, हमने उस दरार को छुपाया नहीं, बल्कि उसे एक नई खूबसूरती में बदल दिया।'"
साधु की कहानी ने आरव के मन में एक नया जोश भर दिया। उसने समझा कि अतीत की असफलताओं को भूलकर उन्हें एक नई दिशा में बदलना ही सही मार्ग है। आरव ने अब अपनी असफलताओं से सीख लेकर अपने भविष्य की ओर ध्यान देना शुरू किया।
उसने फिर से मेहनत की, अपनी गलतियों से सीखा, और अपने आत्मबल को मजबूत किया। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई और वह सफल होने लगा। आरव ने अब कभी भी अपने अतीत की असफलताओं को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
निष्कर्ष
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अतीत की असफलताओं को छोड़कर हमें अपने वर्तमान और भविष्य पर ध्यान देना चाहिए। आत्मबल और साहस के साथ हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। जैसा कि साधु ने कहा, "छोड़ो कल की बातें," हमें हर दिन एक नई शुरुआत करनी चाहिए और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
- कन्हैयाजी काशी
मो - 7905304618
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