14 - ध्यान से समाधान

एक समय की बात है, एक लड़का था। नाम था आशीष  बहुत ही चंचल और बेचैन स्वभाव का था। वह हमेशा जल्दबाज़ी में रहता और किसी भी काम को धैर्यपूर्वक नहीं कर पाता था। उसकी यह आदत उसके माता-पिता और दोस्तों के लिए परेशानी का कारण बनती थी।


एक दिन, आशीष को एक महात्मा मिले । वे बहुत ही शांत और ध्यानमग्न व्यक्ति थे। सभी लोग उनसे मिलकर अपने मन की शांति पाने के लिए उनसे सलाह लेने लगे। आशीष  ने भी सोचा कि वह भी महात्मा जी से मिलकर अपनी बेचैनी का समाधान पा सकता है।


महात्मा जी ने आशीष  की समस्या सुनी और उसे अगले दिन सुबह अपने पास आने को कहा। अगले दिन, आशीष  समय से पहले ही महात्मा जी के आश्रम पहुंच गया। महात्मा जी  ने उसे एक छोटी सी यात्रा पर भेजा और कहा, "इस कटोरे में पानी भरकर पूरे आश्रम  का चक्कर लगाओ, लेकिन ध्यान रहे कि पानी की एक बूंद भी न गिरे।"


आशीष ने कटोरा लिया और पानी भरकर  सावधानीपूर्वक चलने लगा। उसने पूरे आश्रम  का चक्कर लगाया और महात्मा जी  के पास पहुंचा। कटोरे में पानी की एक बूंद भी नहीं गिरी थी। आशीष ने यह देखकर बहुत खुशी महसूस की।


महात्मा जी मुस्कराते हुए बोले, "देखा, जब तुमने अपना सारा ध्यान उस पानी के कटोरे पर केंद्रित किया, तो तुमने बिना किसी बेचैनी के पूरा आश्रम का चक्कर लगा लिया। तुम्हारी सारी चिंता और जल्दबाजी गायब हो गई। इसी प्रकार, यदि तुम अपने जीवन के हर कार्य में ध्यान और धैर्य रखोगे, तो तुम्हारी सभी समस्याएँ दूर हो जाएंगी।"


आशीष  को महात्मा जी की बात समझ में आ गई। उसने अपनी बेचैनी पर नियंत्रण पाना सीख लिया और ध्यान व धैर्यपूर्वक अपने हर काम को पूरा करने लगा। धीरे-धीरे उसकी जीवनशैली बदल गई और वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ एक सुखी जीवन जीने लगा।


यह कहानी हमें सिखाती है कि ध्यान और धैर्य से ही हम अपने जीवन की समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। जल्दबाजी और बेचैनी से कुछ हासिल नहीं होता, बल्कि शांति और संयम से ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। 


- कन्हैयाजी काशी 

मो - 7905304618 


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